भाजपा की पसमांदा मुस्लिमों पर नजर
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सक्रिय राजनीति दल भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस, एआईएमआईएम, रालोद, आजाद समाज पार्टी मुस्लिम मतों पर नजर गड़ाए है, खास तौर पर पसमांदा मुस्लिमों पर, उसकी खास वजह यह है कि वर्ष-2022 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में जीत कर विधानसभा में 35 मुस्लिम विधायक पहुंचे थे जिनमें से 30 विधायक पसमांदा मुस्लिम है, उनमें भी ज्यादातर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से है।
वैस्टर्न यूपी में निकाय चुनाव के दौरान मुस्लिम मत पहले से अधिक एक जुट हुआ है और ऐसा लगता है कि वर्ष -2024 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोट निर्णायक सिद्ध होगा और उसमें भी पसमांदा समाज को मिला है औऱ अन्य को लाभ मिला है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के माध्यम से पसमांदा मुस्लिम को अपनी ओर मोड़ने में लगी है औऱ गत चुनावों में पसमांदा मुस्लिमों का झुकाव बीजेपी की ओर देखने को मिला है।
BSP कई चुनाव में लगातार हार के बाद मुस्लिमों को साथ जोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पार्टी प्रमुख मायावती दलित मुस्लिम गठजोड़ बनाने की कोशिश कर रही है। संगठन स्तर पर इसके लिए पूरी तैयारी चल रही है। संगठन में वेस्ट यूपी में प्रभारी भी लगातार मुस्लिमों को बनाया है। संगठन में युवा मुस्लिमों की भागीदारी बढ़ाई है। कांग्रेस, रालोद, आजाद समाज पार्टी भी वेस्ट यूपी में मुस्लिमों को साधने में पीछे नही हैं।
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में एसपी को मुस्लिमों को सपोर्ट मिला। पर निकाय चुनाव में कुछ जगहों पर मुस्लिमों ने पार्टी को झटका दिया है। जिसके बाद जनाधार बढ़ाने के लिए अखिलेश यादव ने PDA पिछड़े दलित अल्पसंख्यकों को जोड़ने की कोशिश की है। SP चाहती है कि मुसलमानों का साथ छोड़ने का संदेश नहीं जाना चाहिए। फिलहाल वेस्ट यूपी में जितने भी मुस्लिम MLA है उनमें ज्यादातर SP और उसके सहयोगी RLD के ही है।
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