हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल ने पूरे भारत में सामाजिक समरस्ता का कार्यक्रम आयोजित किया। इसी क्रम में रविवार को हापुड़ में भी संत रविदास जयंती का कार्यक्रम शीतला माता मंदिर में मनाया गया जिसमे मुख्य व्यक्ता क्षेत्रीय समरसता प्रमुख वीरेन्द्र रहे, कार्यक्रम अध्यक्ष ताराचंद, मुख्य अतिथि विनय, विशिष्ट अतिथि चमकौर रहे। कार्यकम में सुधीर, विनय, रविन्द्र, विकास, आशुतोष, ईश्वर, योगेश, उमेश, अरुण, अभय, बिशु, जतिन, मुकेश, महेश, ललित आदि उपस्थित रहे।
रविदास जी ने अपनी रचनाओं के माध्य्म से तथा जन-जागरण कर समाज में फैल रही कुरीतियों और भेदभाव को खत्म करने के लिये अपना पूर्ण जीवन लगा दिया। संत रविदास बहुत ही सरल हृदय के थे और दुनिया का आडंबर छोड़कर हृदय की पवित्रता पर बल देते थे। इस बारे में उनकी एक कहावत – “जो मन चंगा तो कठौती में गंगा” काफी प्रचलित है।
इस कहावत को जोड़कर एक कथा भी है। कहते हैं कि एक बार एक महिला संत रविदास के पास से गुजर रही थी। संत रविदास लोगों के जूते सिलते हुए भगवान का भजन करने में मस्त थे तभी वह महिला उनके पास पहुंची और उन्हें गंगा नहाने की सलाह दी। फिर क्या मस्तमौला संत रविदास ने कहा कि जो मन चंगा तो कठौती में गंगा। यानी यदि आपका मन पवित्र है तो यहीं गंगा है। कहते हैं इस पर महिला ने संत से कहा कि आपकी कठौती में गंगा है तो मेरी झुलनी गंगा में गिर गई थी तो आप मेरी झुलनी ढ़ूढ़ दीजिए। इस पर संत रविदास ने अपनी चमड़ा भिगोने की कठौती में हाथ डाला और महिला की झुलनी निकालकर दे दी। इस चमत्कार से महिला हैरान रह गई और उनके प्रसिद्धि के चर्चे दूर-दूर तक फैल गए। कहते हैं कि भगवान कृष्ण की परमभक्त मीराबाई के गुरु संत रविदास थे। मीराबाई संत रविदास से ही प्रेरणा ली थी और भक्तिमार्ग अपनाया था। कहते हैं संत रविदास ने कई बार मीराबाई की जान बचाई थी।
संत रविदास जात-पात के विरोधी थे:-
“जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात,
रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।”
आदि अनेकों प्रकार के उदाहरणों के माध्यम से समाज को जागृत किया गया ।