हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): पितरों को संतुष्ट कर आशीर्वाद प्राप्त करने तथा पितृपक्ष समाप्ति के साथ पितरों का अपने-अपने स्थान गमन का दिन व धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत पवित्र पितृ अमावस्या दो अक्टूबर 2024 बुधवार को है। भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा के अध्यक्ष पंडित के0 सी0 पाण्डेय
ने बताया कि अमावस्या तिथि 1 अक्टूबर की रात्रि 9.39 बजे से शुरू होकर 2 अक्टूबर की देर रात 12.19 तक रहेगी जिससे बुधवार को पूरे दिन पितरों का श्राद्ध -तर्पण दान आदि पितृकर्म होंगे। इस दिन सभी ज्ञात-अज्ञात मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का श्राद्ध किया जाता है। किसी भी नदी के किनारे, मंदिर के पास, बगीचा, गौशाला आदि स्थानों पर श्राद्ध कर्म करना चाहिए। श्राद्ध हमेशा सार्वजनिक पवित्र स्थान पर ही करना चाहिए। किसी अन्य की जमीन अथवा स्थान पर श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए।
1 अक्टूबर को रात्रि 9.13 से सूर्यग्रहण भी लग रहा है जो तड़के 3.17 तक रहेगा। परन्तु भारत में रात्रि होने से दृश्यमान ना होने के कारण कोई सुतक मान्य नहीं होगा। दक्षिणी अमेरिका, अर्जेन्टिना, चिली, कनाडा आदि देशो में ग्रहण का पूर्ण प्रभाव पड़ेगा। पितृ श्राद्ध, तर्पण में ग्रहण का नकारात्मक असर नहीं होगा। श्राद्ध करने के लिए दो अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से अपरान्ह 4.04 तक सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ हस्त नक्षत्र व ब्रह्म योग अत्यंत पुण्य फल दायक श्रेष्ठ समय है। इस दिन पंचग्रास (गाय, कुत्ता, कौआ, चींटी व जीवात्मा) अवश्य निकालना चाहिए। श्राद्ध के बाद ब्राह्मण को भोजन के साथ दान दक्षिणा भी यथाशक्ति अवश्य देना चाहिए। इस समय के श्राद्ध से प्रसन्न होकर पितर धन, विद्या, संतान, प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य, शान्ति व सफलता का आशीर्वाद प्रदान करते है। श्राद्ध सायंकाल के बाद नहीं करना चाहिए। अमावस्या के दिन गंगा नदी, हरिद्वार व कुरुक्षेत्र में स्नान करने व तर्पण दान करने से पितृदोष में भी लाभ होगा। गढ़ हापुड़ में द्वापर युग में भगवान कृष्ण के परामर्श पर पांडवों ने अपने पितरों का श्राद्ध किया था जिससे उन्हें मोक्ष मिला। साथ ही गणों के मुक्ति के कारण ही इस क्षेत्र का नाम गढ़मुक्ततेश्वर पड़ा। अतः गढ़ में भी श्राद्ध का महत्व है। गया श्राद्ध का विशेष महत्त्व धर्मग्रंथों में बताया गया है।
ग्रहणकाल के समय अपने इष्ट का ध्यान, राहु, सूर्यादि ग्रहों के मंत्रों का जप करना चाहिए। राहु, केतु, शनि आदि ग्रहों की शान्ति के साथ किसी भी साधना व सिद्धि के लिए ग्रहण के साथ पितृ अमावस्या का दिन उत्तम है।
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