टीबी का एक भी लक्षण नजर आने पर जांच अवश्य कराएं : डीटीओ
– क्षय रोग विभाग ने कुराना टोल प्लाजा कर्मियों का टीबी के प्रति किया संवेदीकरण
– कैंप आयोजित कर टीबी स्क्रीनिंग के साथ ही शुगर और बीपी की जांच भी की गई
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): हापुड़, 22 दिसंबर, 2023। दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखार, रात में सोते समय पसीना आना, भूख न लगना, वजन कम होना, सीने में दर्द। यह लक्षण टीबी के हो सकते हैं। इनमें से यदि एक भी लक्षण नजर आए तो टीबी की जांच अवश्य कराएं। जांच में टीबी की पुष्टि होने पर घबराने की जरूरत नहीं है, इसका इलाज संभव है और रोगी नियमित उपचार के बाद पूरी तरह ठीक हो जाता है। यह बातें शुक्रवार को जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने बुलंदशहर रोड स्थित कुराना टोल प्लाजा पर आयोजित कार्यशाला के दौरान कहीं। कार्यशाला का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) सुनील कुमार त्यागी के निर्देशन में टोल प्लाजा कर्मियों का टीबी संवेदीकरण करने के लिए किया गया था। संवेदीकरण के साथ टोल प्लाजा कर्मियों की टीबी स्क्रीनिंग और शुगर व बीपी की जांच भी की गई।
डीटीओ डा. सिंह ने टोल प्लाजा कर्मियों को बताया – टीबी बैक्टीरिया के कारण होती है। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। न तो इस बीमारी को छिपाने की जरूरत है और न ही किसी रोगी के बारे में पता लगने पर उसका सामाजिक तिरस्कार करने की। टीबी को फैलने से रोकने के लिए बस थोड़ी सी सावधानी बरतने की जरूरत है। अधिकतर मामलों में टीबी फेफड़ों को प्रभावित करती है, इसलिए यह बीमारी मरीज के खांसने छींकने से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स से सांस के जरिए फैलती है। उपचार न लेने पर एक रोगी साल भर में 10 से 12 लोगों को संक्रमण दे देता है। टीबी फैलाव रोकने के लिए रोगी भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें और जाना पड़े तो मास्क का प्रयोग करें। कार्यक्रम के दौरान एनएचएआई से प्रोजेक्ट डायरेक्टर संतोष कुमार वाजपेयी, टोल मैनेजर कासिफ चौधरी, कंस्ट्रक्शन कार्य कर रही एपको कंपनी से प्रोजेक्ट डायरेक्टर एनपी सिंह और मैनेजर सुशील कुमार का सहयोग रहा।
जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने बताया – टीबी का पूरा उपचार कराएं। बीच में दवा खाना न छोड़ें। सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की जांच और उपचार की सुविधा उपलब्ध है। टीबी रोगी को दवा के साथ उच्च प्रोटीन युक्त पौष्टिक आहार की जरूरत होती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए उपचार के दौरान सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत रोगी के बैंक खाते में हर माह पांच सौ रुपए दिए जाते हैं। स्क्रीनिंग में वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस) दीपक कुमार, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र- हापुड़ से लैब टेक्नीशियन राकेश बैंसला और लैब टेक्नीशियन राजेश कुमार का सहयोग रहा। कुल 44 टोल कर्मचारियों की स्क्रीनिंग हुई और आठ कर्मियों का स्पुटम (बलगम का नमूना) जांच के लिए लिया गया।
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