बीसवीं शताब्दी की ब्रिटिश कविताएं पर संगोष्ठी
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): हापुड के एस0एस0वी0 (पी0जी0) कॉलेज के अंग्रेजी विभाग में 29 सितम्बर को ‘बीसवीं शताब्दी की ब्रिटिश कविताएं’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें एम0ए0 अंग्रेजी तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने अपने पत्र प्रस्तुत किए। संगोष्ठी के आरंभ में संगोष्ठी की आयोजिका प्रोफेसर रानी तिवारी ने विषय पर चर्चा करते हुए बताया कि बीसवीं शताब्दी में अंग्रेजी साहित्य में अनेक साहित्यिक विभूतियां हुई है जिनमें से टी0एस0 एलियट प्रमुख थे। इन्होंने अपने साहित्य से आधुनिक युग के सभी प्रमुख लेखकों को प्रभावित किया। इनके अनुसार एक कलाकार की प्रगति एक निरंतर आत्म बलिदान, व्यक्तित्व का एक निरन्तर विलुप्तीकरण है।
विभाग प्रभारी प्रोफेसर आर0के0 शर्मा ने कहा कि आधुनिकतावाद बीसवीं सदी के पहले भाग का एक प्रमुख साहित्यिक आंदोलन है। डब्ल्यू0बी0 येट्स बीसवीं सदी के साहित्य की अग्रणी हस्तियों में से एक थे। इन्हे 1923 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सरला ने अपना पत्र आधुनिकतावाद पर प्रस्तुत किया एवं कहा कि यह एक दार्शनिक, धार्मिक एवं कला आंदोलन है जो पश्चिमी समाज में हुए व्यापक परिवर्तनों से उत्पन्न हुआ। इकरा नूर ने बीसवीं सदी की सबसे प्रभावशाली कविता ‘जे0एल्फ्रेड प्रुफ्रोक का प्रेमगीत’ विषय पर अपना पत्र प्रस्तुत किया। इस कविता की छाया में हजारों नयी कविताएं एवं कवि जन्में। तनु ने बताया कि यह आधुनिक काव्य शैली का एक अग्रणी प्रदर्शन है जिसमें पहली बार आधुनिक नगर के मानस का बहुत बारीकी से चित्रण हुआ है। निशान्त चौधरी ने कहा कि एलियट की कविताएं आधुनिक कविताओं के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। तन्वी ने कहा कि ‘द वेस्ट लैंड’ 20वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण कविताओं में से एक है। यह आधुनिक साहित्य की एक परिचित कसौटी बन गई है। लायबा ने कहा कि 1930 के दशक के बाद सबसे आम आलोचनात्मक दृष्टिकोण से डब्ल्यू0 एच0 ऑडेन को एक प्रमुख स्थान मिला। प्रेरणा एवं डॉली ने फिलिप लार्किन एवं सीमस हेनी के कविताओं की आलोचना की। यह दोनो 1950 एवं 1960 के दशक के प्रमुख अंग्रेजी भाषा के कवि थे। संगोष्ठी में आयुषी, जैनब, सबा, हर्षिता, हिमानी, सविता आदि ने अपने पत्र प्रस्तुत किए।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर नवीन चन्द्र सिंह ने इस आयोजन के लिए अंग्रेजी विभाग की सराहना की। इस आयोजन में श्री भीम सिंह का सहयोग रहा।