हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): ऊर्जा निगम का विवादों से पुराना नाता है। दो साल पहले एक उपभोक्ता पर करीब साढ़े पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया। उपभोक्ता खुद को बेकसूर बताता रहा लेकिन उसके बाद बावजूद भी पैसों की मांग आती रही। जब उपभोक्ता सच्चाई के साथ-साथ कागज की लड़ाई पर अड़ गया तो उसके बाद विभाग ने जुर्माने को निरस्त कर दिया।
पिलखुवा डिवीजन के अकडौली में अभिषेक वर्मा ने बताया कि उसने अपने एक सहयोगी के साथ इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड से पेट्रोल पंप की डीलरशिप ली थी। इसके लिए 14 विभागों से एनओसी के साथ ही ऊर्जा निगम से भी 18 किलोवाट का कनेक्शन लिया गया। दो अगस्त 2022 में विजिलेंस विभाग की टीम ने पेट्रोल पंप पर छापा मारा जहां टूटे तीन शेड को जोड़ने के लिए जनरेटर से काम किया जा रहा था। आरोप है कि विजिलेंस ने चोरी से बिजली का प्रयोग किए जाने की बात कही। इसका विरोध करने पर टीम लौट गई। कुछ देर बाद ही फोन आया जिसमें रूपयों की मांग की गई। इसके बाद ना तो कोई सूचना मिली और ना ही नोटिस।
2023 दिसंबर में ओटीएस योजना के दौरान उसे अनियमिकता का नोटिस मिला जिसमें साढ़े पांच लाख रुपए का जुर्माना लगा था। पीड़ित उपभोक्ता ने अधिकारियों के चक्कर लगाए लेकिन उसे लगातार परेशान किया गया। उपभोक्ता ने कानूनी लड़ाई को जारी रखा। बताया जा रहा है कि अधिकारियों को अनियमितता संबंधी कोई साक्ष्य नहीं मिल सका। वहीं पिलखुवा डिवीजन के अधिशासी अभियंता ने जुर्माने को निरस्त करने के आदेश दिए हैं।
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