– ब्लॉक वार प्रशिक्षण में अंतिम दिन सिंभावली में दिया गया प्रशिक्षण
– प्रशिक्षण के दौरान पंजीकरण से उपचार तक के बारे में बताया गया
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम में आयुष्मान भारत – हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स (एचडब्ल्यूसी) को शामिल किए जाने के उद्देश्य धरातल पर उतारने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को ब्लॉक वार प्रशिक्षण दिया गया है। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने सोमवार को अपनी टीम के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सिखेड़ा पहुंचकर सिंभावली ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया। धौलाना, हापुड़ और गढ़ मुक्तेश्वर ब्लॉक में यह प्रशिक्षण पहले ही संपन्न हो चुका है। डीटीओ ने बताया – 28 तारीख से ब्लॉक वार एएनएम का प्रशिक्षण होगा।
डीटीओ डा. राजेश सिंह ने प्रशिक्षण के दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को बताया – दो सप्ताह से अधिक खांसी, खांसी के साथ बलगम या खून आना, सीने में दर्द, शाम के समय बुखार आना, रात में सोते समय पसीना आना और वजन कम होना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कोई लक्षण यदि ओपीडी में आने वाले रोगी में नजर आते हैं तो निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत कर टीबी की जांच करानी है। जांच में यदि टीबी की पुष्टि होती है तो पोर्टल पर उसे पॉजिटिव दर्ज करते हुए उपचार शुरू कराना है और यदि टीबी की पुष्टि नहीं होती तो पोर्टल पर निगेटिव दिखाते हुए अपलोड करना है।
डीटीओ ने बताया – टीबी की पुष्टि होने पर उपचार शुरू करने के साथ ही रोगी की बैंक डिटेल पोर्टल पर अपलोड करनी है ताकि उसे निक्षय पोषण योजना का लाभ मिलना शुरू हो सके और साथ ही उसके सभी परिवारिजनों की टीबी जांच करानी है। घर में पांच वर्ष तक के बच्चों को टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) देनी है। साथ ही रोगी की कोमॉर्बिडिटी का पता लगाने के लिए शुगर और एचआईवी जांच करानी है। रोगी की काउंसलिंग करनी है कि टीबी अब असाध्य रोग नहीं रह गया है, नियमित उपचार से टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। इसे छिपाने की नहीं बल्कि पूरा उपचार कराने की जरूरत है ताकि उनके परिजनों का बचाव हो सके।
सीएचसी डॉ. अमित बैंसला ने कहा – उन्हें यह भी बताएं कि खांसते, छींकते और बोलते समय मुंह से निकलने वाली ड्रॉपलेट से टीबी फैलती है। इसलिए अपने परिजनों से कम से कम दो गज की सुरक्षित दूरी पर रहें। बंद या एसी वाला कमरा शेयर न करें। भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाते समय मास्क का प्रयोग करें। यह अन्य लोगों के साथ ही रोगी के लिए भी बेहतर होगा, क्योंकि क्षय रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और अन्य लोगों से उन्हें अन्य कोई संक्रमण लगने का खतरा रहता है।जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने बताया – क्षय रोगियों की काउंसलिंग करते समय उन्हें यह जरूर बताएं कि उन्हें अपने भोजन में उच्च प्रोटीन युक्त पदार्थों को शामिल करना जरूरी है। जो लोग अंडा खाते हैं वह रोज एक अंडा जरूर खाएं। बाकी रोगी पनीर, सोयाबीन, राजमा और प्रोटीन पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं। अच्छे खानपान के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत क्षय रोगी के बैंक खाते में हर माह पांच सौ रुपए का भुगतान सरकार की ओर से किया जाता है, इसलिए निक्षय पोर्टल पर बैंक डिटेल और आधार अपलोड करना जरूरी होता है। प्रशिक्षण के दौरान वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक गजेंद्र पाल सिंह, वरिष्ठ प्रयोगशाला पर्यवेक्षक राम सेवक, बीपीएम अफजाल अहमद और बीसीपीएम रविन्द्र मावी भी मौजूद रहे।
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