हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): प्रकृति का प्रतीक गौरेया का घर आंगन में चहचाना लुप्त हो गया है। अब यह गौरेया बहुत कम दिखाई पड़ती है, जिसको लेकर विश्व भर ने चिंता जताई और इस प्रजाति को बचाने के लिए 20 मार्च को गौरेया दिवस मनाया जाता है।
हापुड़ के एक युवा दम्पति ने गौरेया की उड़ान नाम से गौरेया को बचाने के लिए एक अभियान शुुरु किया। गांव नवादा के प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका डा.रेणु देवी ने अपने पति दिनेश कुमार तथा अन्य सहयोगियों नीरज शर्मा ,प्रीति यादव, सीमा अरोड़ा आदि के साथ मिलकर लकड़ी के घर बनाए हैं और से लोग इन घरों को लोगों को वितरित कर घर, फैक्ट्री, शिक्षण संस्थानों आदि में ऐसे स्थानों पर लगाने का आग्रह करती है, ताकि गौरेया आकर उन्हें अपना आवास बना सके और गौरेया की चहचहाने की आवाज सुनाई दे।
डा.रेणु बताती है कि उनके इस अभियान को सहयोग मिल रहा है और सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे है।
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