हापुड़: राशन डिपुओं के माध्यम से आबंटित गेहूं, चावल, चना गरीबों के निवाले को धंधेबाज डकारने से बाज नहीं आ रहे हैं। इस धंधे से जुड़े लोगों की एक के बाद एक परत उखड़ रही है। अब एक नया मामला सामने आया है और वह भी पक्का बाग से जुड़ा है।
पूर्ति निरीक्षक प्रीति रानी ने पुलिस रिपोर्ट में बताया है कि मजीदपुरा की राशन डिपो का नौ कुन्तल चावल, एक कुन्तल चना कालाबाजारी में बिकते हुए पकड़ा गया है। इस सिलसिले में राशन डिपो के सेल्स मैन मलिक मौहम्मद व उसके बेटे तथा बैल बुग्गी चालक सलमान तथा पक्काबाग के व्यापारी केशव के विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियन के तहत मुकद्दमा दर्ज कराया है। पकड़ा गया गरीबों का निवाला मजीदपुरा से रात के अंधेरे में बैल बुग्गी से पक्का बाग के व्यापारी केशव के ठिकाने पर जा रहा था।
ऐसे एकत्र करते हैं गरीबों का निवाला: राशन डीलर उपभोक्ताओं से घटतौली करके पहले गेंहूं, चावल व चना एकत्र करता है और फिर उन्हें सरकारी वारदाना अन्य पुराने वारदाना में बदलता है। इसके थोड़ा-थोड़ा करके स्कूटी, बाइक, रिक्शा, बैलगाड़ी आदि से धंधेबाज के यहां दलालों के माध्यम से पहुंच जाता है। इस चेन में पांच कड़ियां है। प्रथम राशन डीलर, द्वितीय दलाल, तृतीय वाहन चालक, चतुर्थ धंधेबाज, पंचम गरीबों के निवाले को ठिकाने लगाने वाला।
पहले भी हुए ऐसे मामले: गरीबों के निवाले को डकारने के अनेक मामले इससे पहले भी हुए है और राशन डीलरों व धंधेबाजों के विरुद्ध रिपोर्ट भी दर्ज हुई है, परन्तु ढाक के तीन पात साबित हुए हैं।
आसानी से मिल जाती है क्लीन चिट: जब भी भारी मात्रा में गरीबों का निवाला पकड़ा गया है जिला पूर्ति विभाग ने उन्हें यह कहकर क्लीन चिट दी है कि क्योंकि पकड़ा गया माल सरकारी वारदानें में नहीं है। इसलिए राशन का नहीं है और मंडी शुल्क वसूल कर छोड़ दिया जाता है।
कहां खपता है राशन का माल: हापुड़ राशन के गेंहूं व चावल की खपत की सबसे बड़ी मंडी बना है, जहां हापुड़, अमरोहा, मेरठ, बुलंदशहर, गाजियाबाद आदि जनपदों का गेंहूं, चावल रातों-रात हापुड़ पहुंच जाता है। इन ठिकानों से गरीबों का निवाला आटा चक्कियों, गिने-चुने आटा मिलों तथा करनाल (हरियाणा) की मंडियों में पहुंच जाता है। सूत्र बताते हैं कि राशन की यह चावल करनाल के धंधेबाज हरियाणा सरकार को लेवी के रुप में देते हैं। इस धंधे में जुड़े लोग गत एक दशक में अरबपति बन बैठे हैं।